Aditya-L1 Solar Mission: आदित्य L1 सोलर मिशन
आदित्य L1 सोलर मिशन भारत का सोलर मिशन आदित्य L1 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह के 11:50 पर लांच किया जाएगा इस बेहद पल को सभी को बेसब्री से इंतजार है.
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क्या है इसरो का आदित्य L1 मिशन
सूर्य से जुड़ी जानकारियां को जिताने के लिए हम इसरो से सॉरी मिशन आदित्य L1 को लांच करेंगे जिसकी तारीख जैसे-जैसे पास आती जा रही है इसको लेकर लोगों के बीच उत्सुकता बढ़ती जा रही है धरती से करीब 1500000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद या मिशन क्या और कैसे अध्ययन करेगा इस पर सभी लोगों की नजरें टिकी है.28 अगस्त को इसरो ने कहा था कि आदित्य L1 को 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से भारतीय समय अनुसार 11:50 पर पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी c57 के जरिए लांच किया जाएगा.
मिशन आदित्य L1 के संक्षिप्त नाम से ही इस देश का पता चलता है कि सूर्य की पर्यायवाची आदित्य होती है इसका मतलब यह मिशन सूर्य के मिशन से मिलता जुलता है और जलन का मतलब यह है कि लाग्रेंज बिंदु मतलब इसरो के मुताबिक L1 point की दूरी धरती से लगभग 1.5 मिलियन मतलब (1500000 किलोमीटर) है. आदित्य L1 को L1 बिंदु की कक्षा में जब सूर्य का अध्ययन किया जाना है इसलिए इस मिशन का नाम आदित्य L1 रखा गया है.
क्या है लाग्रेंज पॉइंट और क्यों आदित्य L1 को इसमें भेजने की तैयारी की जा रही है
सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा को मिलाकर इस सिस्टम में कुल 5 लैंग्वेज पॉइंट हैं पितावली फ्रांसीसी गणितज्ञ जैसे रुई ला ब्रिज के नाम पर इसका नाम रखा गया है यह ऐसे बिंदु बताए जा रहे हैं जहां दो बड़े पिंड जैसे कि सूर्य और पृथ्वी के बीच लगने वाला ग्रुप पर आकर्षण खिंचाव के कारण अंतरिक्ष में पार्किंग स्थल जैसे क्षेत्र उपलब्ध होते हैं आसान तरीके से समझे तो लाभ ग्रेसप्वाइंट को पृथ्वी सूर्य का गुरुत्वाकर्षण कुछ इस तरह से बैलेंस होता है या कहें कि बराबर होता है जहां कोई चीज बहुत लंबे समय तक रुक सकती है इसलिए आदित्य L1 को लाग्रेंज बिंदु वन में स्थापित करने के लिए लांच किया जाएगा जहां से या सूर्य पर हर समय नजर रखकर उसका अध्ययन करेगा और साथ ही स्थानीय वातावरण की जानकारी भी जुटाएगा.![]() |
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1500000 किलोमीटर की दूरी क्या और कैसे अध्ययन करेगा हमारा आदित्य L1
इसरो के मुताबिक सूर्य की विभिन्न तत्वों का अध्ययन करने के लिए आदित्य L1 को सात पेलोड में ले जाया जाएगा अंतरिक्ष यान में लगे यह सारे लोग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड मतलब डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फीयर क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेंगे.
इसरो के मुताबिक 7 में से चार पर रोड को सीधे SUN का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा और बाकी तीन को L1 पर पार्टी और फील्ड का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा इसरो अंतर ग्रही माध्यम में संगति के प्रभाव पर हम रहेगा और इससे वैज्ञानिक अध्ययन हो सकेगा.
इसरो के मुताबिक आदित्य L1 के पोल के जरिए कोरोनल हीटिंग की समस्या, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज (गतिवधियां) और उनकी विशेषताओं अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता और क्षेत्रों के प्रसाद आदि को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर आदित्य L1 को को 1500000 किलोमीटर की दूरी पर 2 सितंबर को सुबह के 11:50 पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा.
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