अखिलेश का पीडीए फॉर्मूला कर गया काम
अभी हाल में हुए घोसी उपचुनाव में सुधार सिंह की जीत और दारा सिंह चौहान की हार के पीछे कई प्रमुख वजह सामने आई हैं जिसमें दलबदल से लेकर अखिलेश यादव की पीडीए रणनीति सामने आयी है।
घोसी पोल रिजल्ट 2023
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Ghosi Election Result |
आगामी लोकसभा चुनाव होने वाले हैं उससे पहले यूपी के घोसी उपचुनाव में बीजेपी सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है। इंडिया और इंडिया की लड़ाई में अखिलेश यादव बीजेपी पर भारी पड़ गए हैं। घोसी सीट पर समाजवादी पार्टी के सुधारक सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के दारा सिंह चौहान को 42 हजार से ज्यादा वोटों के बड़े मार्जिन से हरा दिया है। दारा सिंह समाजवादी पार्टी को छोड़कर बीजेपी में आए थे जिसके बाद उनको घोसी से चुनाव में कैंडिडेट बनाया गया था। वह यहां पहले से ही समाजवादी पार्टी से विधायक थे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के सुधारक सिंह को उतारकर समाजवादी पार्टी ने जोर-शोर से प्रचार किया था जमीन पर शिवपाल यादव ने कई दिनों तक मोर्चा संभाले रखना और लोगों के घर जा जाकर मतदाताओं से मुलाकात भी की थी सुधारक की जीत और दारा सिंह चौहान की हार की कई प्रमुख वजह सामने आ रही है। जिसमें दलबदल से लेकर अखिलेश यादव का पीडीएफ फार्मूला है आइए जानते हैं घोसी से दारा सिंह चौहान की हार की पांच बड़ी वजह क्या हो सकती है।
जनता को दलबदल को नहीं पसंद आया
बीजेपी के दारा सिंह चौहान उन नेताओं में हैं जो उत्तर प्रदेश की लगभग सभी पार्टियों में कभी ना कभी रहे हैं। कांग्रेश से अपनी राजनीति शुरू करने वाले दारा सिंह सबसे पहले बसपा फिर सपा और अब बीजेपी में है साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह को बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा गया था और उसने यहां पर जीत दर्ज की थी इसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में 5 साल तक मंत्री रहे लेकिन जैसे ही 2022 विधानसभा चुनाव आया तमाम जगहों पर अखिलेश यादव का परिणाम भारी लगता दिखा तब उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़ दिया था इसके बाद वे समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और घोसी विधानसभा में चुनाव जीते भी थे हालांकि समाजवादी पार्टी को बहुमत ना मिलने के बाद उनको हार का सामना करना पड़ा और कुछ महीने पहले ही वापस बीजेपी में चले गए घोसी उपचुनाव में बीजेपी ने उनको अपना उम्मीदवार बनाया और विधायकों मंत्री की पूरी फौज के साथ चुनाव प्रचार के लिए उतार दिया लेकिन शुक्रवार को धारण करने वाले नेताओं को नहीं किया और चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
शिवपाल यादव की मेहनत काम आई
शिवपाल यादव जो कि अखिलेश यादव के चाचा जी हैं वह काफी लंबे समय से सपा से दूर रहे जब मुलायम से अखिलेश की सपा की सत्ता गई तो बाद में शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी बना ली। और वह भारतीय जनता पार्टी के करीबी नजर आए थे और कई बार अटकले भी भगवा पार्टी का दामन थाम सकते हैं हला कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल फिर से अखिलेश यादव के करीब हुए और मैनपुरी चुनाव में डिंपल यादव को जीत दिलवाने अपनी सबसे बड़ी भूमिका निभाई। अखिलेश यादव पर हमेशा से ही आरोप लगते रहे हैं कि अपने चाचा और पिता की तरह जमीनी स्तर पर लड़ने वाले नेता नहीं है जबकि शिवपाल और मुलायम ने हमेशा AC कमरे से नहीं बल्कि जमीन में उतर कर चुनाव की राजनीति की शिवपाल की घोषी उपचुनाव में दिखाएं जब समाजवादी पार्टी कैंडिडेट सुधारक के लिए वही मैनपुरी वाली पुरानी है जनता से सपा की जीत के लिए अपील की कई लोगों के घरों से पार्टी को जीत मिली। इस समय पर रणनीति बनाते रहे घोसी चुनाव में सपा कैंडिडेट की जीत बनी।
इंडिया का एक साथ आना बीजेपी को भारी पड़ गया
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इस बार पूरा विपक्ष 28 एक साथ आए हैं जिसमें कांग्रेस और सपा भी शामिल है एक लंबे समय से कांग्रेश से पूरी तरह दूरी बनाकर रखने का दावा करने वाले आज अखिलेश यादव को घोसी उपचुनाव में कांग्रेस का काफी साथ मिला उत्तर प्रदेश कांग्रेश के नए नवेले अध्यक्ष अजय रावत ने घोसी उपचुनाव में अपनी पार्टी का कोई भी कैंडिडेट ने उतारा। और समाजवादी पार्टी का समर्थन देने के लिए ऐलान कर दिया वही जब बसपा भी अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया तो यह लड़ाई इंडिया बनाम एनडीए हो गई इस लड़ाई में इंडिया की एकजुटता है भारतीय जनता पार्टी के लिए भारी पड़ गई और अब आने वाले समय में भी यह देखना होगा कि क्या अखिलेश यादव लोकसभा में कांग्रेश के साथ गठबंधन करेंगे या नहीं करेंगे इस समय आरएलडी सपा का गठबंधन है। और माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को भी साथ में लाया जा सकता है घोसी उपचुनाव में इंडिया के एग्जिट लड़ने से हुए फायदे से अब इसकी संभावना है बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
मुख्तार अंसारी भी जीत की वजह का कारण बना
घोसी उपचुनाव में सपा की जीत का एक मुख्य वजह मुख्तार अंसारी को भी माना जा रहा है। घोसी मऊ जिले में आता है और यहां काफी समय से मुख्तार अंसारी के परिवा,2002, 2015, 2012 और 2017 में लगातार पांच बार विधानसभा में चुनाव में जीत दर्ज की है। कि इसी साल अप्रैल के महीने में हुए चुनाव में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में दोषी ठहराए जाने के बाद को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। बसपा के उप चुनाव नहीं लड़ने की वजह से पूरा का पूरा मुस्लिम वोट भी एकजुट होकर समाजवादी पार्टी की तरफ आ गया जिससे सुधारक सिंह को बहुत ज्यादा फायदा हुआ।
काम कर गया अखिलेश यादव का पीडीएफ फार्मूला
2022 विधानसभा चुनाव में झटका खाने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव एक नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इंडिया गठबंधन से पहले ही पीडीएफ फार्मूला की बात की थी इस का फुल फॉर्म है पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक इसके लिए उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को भी आगे किया था जिससे दलित और पिछड़े वोट बैंक को साधने में भरपूर कोशिश की हालांकि उनके बयान से काफी विवाद हुआ था जिस पर बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को जमकर गिरा भी था इसके बावजूद भी अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्या को आगे करके पीडीए का जिक्र करते रहे हैं। ऐसे में घोसी उपचुनाव के नतीजों को देखकर लगता है कि इस रणनीतिकारों को फायदा मिला है और बसपा के मैदान में नहीं उतारने से पिछड़ों और दलितों के वोटों पर सपा के सुधार सिंह को फायदा होगा वही मुस्लिम वोट भी सपा की तरफ चला गया। जिससे घोसी उपचुनाव में भारी जीत हुई अखिलेश यादव ने पीडीए का जिक्र भी किया और कहा इंडिया टीम है और पीडीए रणनीति यह हमारी जीत का एक सफल साबित हुआ है।
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